रूकती नहीं
क्यों रुक नहीं पाती
बह जाती हूँ
रुका ही नहीं जाता
दिल की गहराई से
धीरे धीरे
सब निकलता है
लफ्ज़ ढूंढती हूँ
लिख देती हूँ
तुम्हें सुनाने को
जानती हूँ
तुम सब सुनते हो
हाँ
मुझे एहसास है
तुम सुनते हो मुझे
हाँ
सुनते हो सब
जो लिखा गया
जो उतरा ही नहीं
लफ़्ज़ों में
कुछ भीतर ही रह गया
तुम सब सुनते हो
हाँ कान्हा
तुम सब सुनते हो
तुम मेरे हो ना
मेरे कान्हा
मेरे कान्हा
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