तेरे इश्क़ का खुमार
तेरे इश्क़ का खुमार है
हमें इश्क़ करने से फुर्सत नहीं
तू भी तो बेकरार है
हमें इश्क़ करने से फुर्सत नहीं
बह रहा है इश्क़ तेरा अब मेरी नस नस में
क्यों हो रही है बेखुदी कुछ रहा ना मेरे बस में
बस तेरी ही हो जाऊँ और कोई
हसरत नहीं
तेरे इश्क़ का........
मिल रहे हो मुझको कैसे कैसा ये अजब नशा है
मिलना और फिर छुप जाना साहिब तेरी अदा है
तेरे दर्द सा ना दर्द है तेरी मोहबत सी मोहबत नहीं
तेरे इश्क़ का..........
हम खामोश हो रहे हैं तेरी वफ़ा है कुछ ऐसी
और मदहोश हो रहे हैँ तेरी अदा है कुछ ऐसी
अब मेरी हर साँस पर बस तेरा इख्तयार है
तेरे इश्क़ का...........
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