सबसे बड़ी चाहत
सोचती हूँ
आज किसी की नहीं मानूंगी
अपने मन की करूंगी
फिर सोचा क्या क्या करूँ
सब सोच ली
पर कुछ हुआ नहीं
कुछ भी नहीं
हुआ वही
जो तुम चाहते थे
तो तुम ही रहो
तुम ही चाहो
मुझे क्यों ले आए
बीच में
क्यों मैं तुम और तुम्हारी चाहतों के बीच हूँ
जबकि होता वही
जो तुम चाहो
तुम मिटा दो मुझे
वही चाहूँ
जो तुम चाहते हो
बन जाओ तुम मेरी
सबसे बड़ी चाहत
और सब छूट जाएँ
बस तुम ही रहो
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