नहीं आता तो सिखा दो

नहीं आता तो सिखा दो इश्क़ मुझे
तुम्हीं से सीख़ तुम्हीं से करना मुझे
क्यों नहीं सुनते सदा मेरे दिल की तुम
क्यों अब तक नहीं आया मरना मुझे

देखो कितनी दौलत है यहां
आहों और अश्कों के भरे पैमाने
रुस्वा ना करो राह ए इश्क़ में हमें
हम तो मुद्दत से साहिब तेरे दीवाने

लूट लो इस दौलत को तुम
तुम्हारे इश्क़ से ही बनी है सारी
दे देना कभी और किसी दीवाने को
हम पर अब हो रही तेरी अमानत भारी

बेचैन रूह को थोडा सा सकून बक्शो
ये बेचैनी अब मेरी जान लिए जाती है
हर शख्स करता है जब बात तेरी
याद में फिर आँख मेरी भर आती है

तेरी निग़ाहों में है अदा कत्ल करने की
अब रुख से पर्दा तो हटाओ मेरे साहिब
कब से बेताब हो रहे हम कत्ल होने को
क्यों देरी है अब और ना तड़पाओ साहिब

है अश्क़ों की जो लड़ियाँ तुझे इनसे ही सज़ा दूँ
मेरे अरमानों के फूलों का तुझको ताज पहना दूँ
है दर्द और आहों की जागीर तेरे नाम करूँ
बस यही जान है बाक़ी कभी तेरे नाम करा दूँ

क्यों जान नहीं जाती तेरा एहसास ना होने से
क्यों मर नहीं जाते कभी तेरी याद में रोने से
मुझे लगता मुझे कभी इश्क़ करना नहीं आया
नहीं तो हाल ही पूछ लेते कभी यूँ नैन भिगोने से

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