मदहोश कर लो

हम तो जी लेंगे सनम तेरी ही पनाहों में
कभी अपने आगोश में भर लो मुझको
भूल जाऊं दर्द सारे बस तू ही याद रहे
आओ कुछ इस कदर मदहोश करलो मुझको

बेकरारी मेरी हद से बढ़ती जाती है
दिल की तन्हाई भी नाम तेरा लेती है
तेरी याद भी ज़ालिम है तेरे ही जैसी
आती है तो जान मेरी निकाल लेती है

मुझको रुसवा ना करो कहो कुसूर क्या मेरा
मैंने तो इश्क़ किया फिर क्यों खतावार हूँ मैं
तेरा दर्द जीने की वजह गो गया फिर
इसलिए तो रोज़ रोज़ गुनहगार हूँ मैं

कोई तो रंग लाएगी मोहबत भी मेरी कभी
कभी तो महकेंगी कलियाँ भी मेरे आँगन में
कभी तो तेरी बाहों झूम लूँगी मैं सनम
कभी तो तेरे मिलने की ख़ुशी होगी मन में

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून