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Showing posts from November, 2016

विरहावली

ऐसो नैन क्या धरे देह माँहि ना कटिहे जग को फन्द ।। चहुँ ओर पियु नाँहि निरखे भलो रहे चाहे अन्ध ।। 1।। बलिहारी वा नैनन की या माँहि पिया रहे समाये ।। नैनन कोर ते पिया ही दिखे ओर कछु ...

नेक सो कारो

नेक सों सांवरो कारी कमरी वारो । निरख सखी सुरतिया गई सुधि हारो ।। हाथन सों बंसी धारे मोटे मोटे नैन । निरख निरख सुख पाऊँ सखी दिन रैन ।। पगरी शीश धरी सखी हिय मेरो चुरावे । रैन दि...

लफ़्ज़ों पर मत जाइये

लफ़्ज़ों पर मत जाइये हम यूँ ही फ़रमाते हैँ दिल में इश्क़ नहीं ज़रा हम यूँ ही अश्क़ बहाते हैँ करते हो तुम आज़माइश अपने ही इश्क़ की हम शमा जैसे रोज़ खुद को ही जलाते हैँ लफ़्ज़ों पर मत जाइये .......

सखी री

सखी री ! कौन विधि साँवरो रीझै हाय री ! कबहुँ मोहे अपनो कीजै जाने ना सखी री प्रेम की बतियाँ पियु बिनहुँ काटे कटत ना रतियाँ कालरात्रि घनघोर श्यामल कबहुँ दरसन दीजै सखी री ! कौन वि...

जगत माँहि

जगत माँहि साधु हृदय उदार काटे कल्मष सकल जगत के प्रेम देवे युगल चरणार जगत माँहि ........ मनवा साधु चरण रज लयिहै साधु शरण माँहि हृदय रमिहै हरिनाम का आश्रय लीजो होय भवसागर पार जगत मा...

सखी री आयो री

सखी री आयो मेरो पियो को संदेस । कीजौ सिंगार री मेरो आवे है बृजेश ।। पिया बिनहुँ नाँहि प्राण धरूँ पिया मेरो प्राण । प्रेम ताहीँ धरूँ सखी निज देह माँहि प्राण ।। ऐसो मेरो पिया स...

जान ले लीजिये

जान ले लीजिये मेरा गम आप को परेशां न करे मौत ही क़बूल है मेरे जीने का सामाँ न करें ये अश्क़ ही तो मेरी ज़िन्दगी की दौलत हैँ रहने दें इनको मेरी ज़िन्दगी वीरां न करें जान ले लीजिये म...

दिल तेरे दर्द में

दिल तेरे दर्द में जब ज़ार ज़ार रोता है हरेक शै में तेरा ही दीदार होता है क्यों खो जाते हो घड़ी दो घड़ी मिलकर जुदाई में ना पूछो क्या हाल होता है दिल तेरे दर्द में.......... दिल तो करता है खुद...

श्यामसुन्दर मोहे छोड़ न जहीहो

श्यामसुन्दर मोहे छोड़ ना जइहो कौन सों हिय की पीरा कहिहो नेह लगाय मोहना मैं तो हारी तुम पर अपनों जीवन वारी प्राणधन मेरो धन बन रहिहो श्यामसुन्दर मोहे छोड़ ना जइहो कौन सों हिय क...

अब बिरहन की लीजो खबरिया

अब बिरहन की लीजो खबरिया मुरली सुनाओ मेरे साँवरिया कैसे सुनाऊँ हिय की बतियाँ नैनन माँहि बीते सारी रतियाँ दूर देस हाय तेरी नगरिया अब बिरहन की लीजो खबरिया मुरली सुनाओ मेरे ...

दासी तिहारी

काहे बिसराये श्यामा तुम अधमन को । तुम बिन चैन नहीं होय मन को ।। दासी रखिहौ श्यामा विलम्ब ना कीजौ । श्यामा मोहे निज शरण माँहि लीजो ।। मुख ना फेरिहो मेरी प्राणधन श्यामा । मोहे ...

सेवा दीजौ

कबहुँ मोहे सेवा में रखिहौ ऊँची अटारी वारी । भूल ना जहिहौ जहि बाँवरी होय दासी तिहारी ।। कछु ना चाहिहौ तुम सों श्यामा कीजौ चरणन चेरी । हूँ अधमन सिरमौर मैं श्यामा जैसो भी हूँ त...

कोऊ सेवा

श्यामाश्याम नित मुदित विराजें मैं जाऊँ बलिहारी जी । सेवा करूँ मैं चरण पखारूँ मोहे सेवा दीजौ प्यारी जी ।। कुसुम शैय्या होय मधुर सुवासित मधुर रस बरसाओ जी। मेरो मन अभिलाष यह...

देखी है मैंने साहिब

देखीं हैँ मैंने साहिब तेरे इश्क़ की निशानियाँ नादान हूँ समझी नहीं साहिब तेरी मेहरबानियाँ ये जो दिल में है इश्क़ तेरा ये भी तेरी इनायत तुमने जिसे है चाहा उसने ही समझी चाहत मै...

सखी री पिया बिन

सखी री पिया बिन अबहुँ रह्यो न जाये कौन सों कहूँ पीर हिय की कौन सों रहूँ छिपाये सखी इक इक स्वास् जो पिया बिन आवे प्राण ना निकले अबहुँ मेरो हिय अकुलावे बाँवरी तेरी प्रियतम प्य...

दूर तेरी महफ़िल से

दूर तेरी महफ़िल से चले जाऊँ तो कैसे हाल ए दिल अपना तुमसे छिपाऊँ तो कैसे हर शै में होने लगता है कभी दीदार आपका रूठते हो जब मुझसे तो मनाऊँ तो कैसे दूर तेरी महफ़िल से ....... नहीं औकात मे...

मुझको तेरे इश्क़ ने

मुझको तेरे इश्क़ ने दीवाना कर दिया ये दिल तेरा ही था तुझे नज़राना कर दिया मेरा मुझमें क्या बचा जो कहूँ अब मेरा तेरी थी तेरी हूँ सदा जो भी है सब तेरा तेरा तुझको सौंप कर शुक्राना ...

मिलता है सुकून मुझे

मिलता है सुकून मुझे आपकी पनाहों में मन्ज़िल है मेरी दिलबर आपकी ही बाँहों में उठती है नज़र जिधर भी साहिब दीदार तेरा मेरा इश्क़ ये नहीं है ये तो इश्क है तेरा तुम ही तुम बस रहे हो स...

मैं प्यारी सखी

मैं प्यारी सखी प्रियतम अपने की प्रियतम मेरो सिंगार । मिलत रहें नित्य हमहुँ ऐसो नित्य रह्यो रास विहार ।। नित्य नित्य नवल रंग प्रीति को नित नयो हिय की चाह । प्रेम रसिक होय प्...

प्रियतम बिनहुँ काहे न निकसत प्राण

प्रियतम बिनहुँ काहे ना निकसत प्राण ओ विधना काहे दियो स्वास् मोहे या घट होय मसान प्रियतम बिनहुँ काहे ना निकसत प्राण जगत से मोह काहे लगावे मनवा पीर हिय को ही पावे तू मनवा बिस...

भज रे मना भज रे मना

भज रे मना भज रे मना हरि सों प्रीति कर रे मना धर रे मना धर रे मना हरि चरणन मन धर रे मना भटक रहा तू नित विषयन माँहि जगत ने तोहे भरमाया मोह मद मत्सर के वश भटके हरि सों नेह न लगाया मन म...

सखी श्याम पिया मैं पाई हो

सखी श्याम पिया मैं पाई हो सतरंगी सी चुनर म्हारी श्याम रंग रंगाई हो सखी श्याम पिया मैं पाई हो जाके हिय प्रेम नाँहि परसे क्या जाने पीर पराई हो सखी श्याम पिया मैं पाई हो प्रीत व...

बेकरार रूह को

बेकरार रूह को ग़र दीदार ए दिलबर न हो मर ही जायेंगें मोहना हर और तुझे देखने वाली नज़र न हो कभी फ़ूल कभी ख़ुशबू कभी बहार ए चमन तुम ज़िन्दगी भी मौत है मोहन ग़र तू दिलबर न हो आहें भी तूफ़ान ...

आये हैँ वो पहलू में

आयें हैँ वो पहलू में तो शिकवा न करेंगें वो चाहते हैं इश्क़ तो हम इश्क़ करेंगें हम तो जी रहे हैं उनकी मोहबतें उन पर फ़िदा न होंगें तो क्या करेंगें आये हैँ वो ....... हर और ही होता है हमको ...

मैं अधम पातकी मतिहीना

मैं अधम पातकी मतिहीना राखो मेरी स्वामिनी ! दोऊ करि जोरि विनय करूँ शरण लीजो भामिनी !! तुम तजिहों को कित् ठौर मेरो अबहुँ तोहे पुकारूँ ! सेवा दीजौ स्वामिनी अपनी नित् तेरो बाट निह...

तजिहों न स्वामिनी जू

तजिहों न स्वामिनी जू पुनः पुनः विनय करूँ ! अबहुँ मो अनाथ को सनाथ कीजिये !! कुटिल हूँ अधम हूँ पतित हूँ स्वामिनी जू ! एक बेर सीस मेरो हाथ रख दीजिये !! कैसो नाय छूटे नेह तेरे चरणन सों ...

मुझ अधम का नहीं

मुझ अधम का नहीं कोई और लाडली ! तुम ही मेरी ठौर किशोरी ! तुम ही मेरी ठौर तुम्हरे बिन मेरो जीवन अँधेरा कर दो किशोरी नया सवेरा काल रात्रि कटे जीवन की प्रेम मई हो भोर किशोरी ! तुम ही ...

राख लेहो स्वामिनी

राख लेहो स्वामिनी जू मोहे अपनी कीजो । चरण पखारूँ सेज सजाऊँ मोहे सेवा दीजो ।। यमुना सों जल भरि भरि लाऊँ सेवा मोहे लगाओ । रति मिले स्वामिनी चरणन की ऐसो मन को चाओ ।। तेरो महलन की...

युगल प्रीत बिन

युगल प्रीत बिनु व्यर्थ ये जीवन होय स्वास् होय बेमोल । कबहुँ युगल नाम सिमरेगो समय गवाय दियो अनमोल ।। कबहुँ श्यामाश्याम न मनावे कैसो युगलवर रीझें । मन में कल्मष विकार होय भ...

सखी री नन्दनन्दन दीन्हीं बिसार

सखी री नन्दनन्दन दीन्हीं बिसार हाय स्याम हाय स्याम रटूं मिलिहौं न नन्द मुरार पीर उठे हिय मेरो जलावे प्रियतम कौन घड़ी मेरो आवे बिरहन तेरी रैन दिन रोवे खारी लगे संसार सखी री ...

बाँवरी तू युगल कहाँ ते पाय

प्रेम न बन्यो कबहुँ धन मेरो धन रह्यो जगत को समाय हिय माँहिं पीर उठे न युगल बिन बाँवरी तू युगल कहाँ ते पाय जो होतो प्रेम अति थोरो हिय रहतो कबहुँ अधीरा नाय जिव्हा युगल नाम न भज...