Posts

Showing posts from December, 2016

एक बूँद

मैं बन गयी ओस की बूँद एक जो कहीं गिरी मिले तुझे किसी एक पत्ते पर तेरे ही शहर में किसी एक पौधे की शाख पर विरह की तीव्र वेदना सूर्य की गर्मी सी नित्य सुखा देती मुझे सूर्य के ताप ...

एक बूँद

मैं बन गयी ओस की बूँद एक जो कहीं गिरी मिले तुझे किसी एक पत्ते पर तेरे ही शहर में किसी एक पौधे की शाख पर विरह की तीव्र वेदना सूर्य की गर्मी सी नित्य सुखा देती मुझे सूर्य के ताप ...

बूँद@

संध्या का समय हो चला। मन्द मन्द समीर प्रवाहित हो रही है। सूर्यदेव अपनी प्रचण्ड अग्नि समेटे हुए पश्चिम दिशा में विराज चुके हैँ। इस प्रेम साम्राज्य में चन्द्र देव का आगमन ह...

तेरे इश्क़ की खुमारी

तेरा इश्क़ तेरी खुमारी तेरा ही नशा है दिल को चुराना ही प्यारे तेरी अदा है एक बार जिसने छू लिया तेरी चौखट को सब कुछ भुलाया उसने तेरा ही बस हुआ है अब इस रूह को तेरे नाम कर दिया हमन...

वंशिका @1

जय जय श्यामाश्याम वंशिका 1 वृन्दावन हमारे प्यारे युगल चन्द्र हमारे प्रिया प्रियतम युगल किशोर का प्रेम राज्य है जहां सर्वत्र उनका प्रेम ही आलोकित हो रहा है। यहां का कण कण ,...

मेरे दिल की हसरत

मेरे दिल की ये हसरत है तुमसे दिल लगाने की मेरी सरकार वृन्दावन बसा लोगे तो क्या होगा मेरे दिल की ..... नहीं रहना इस दुनिया में ये बेगानी सी लगती है मुझे इक बार कदमों में बिठा लोगे त...

मेरी धड़कनों को

मेरी धड़कनों को बढ़ाया मुझे दीवाना कर दिया है तेरी मोहबतों में मैंने खुद को नज़राना कर दिया है मुझको कोई बताए मेरा पता ही मुझसे छूटा ये कैसा इश्क़ मुझको मुझसे बेगाना कर दिया है ...

उनका इश्क़

वो कुछ ऐसे इश्क़ करते हैं हमसे कि लफ़्ज़ों में क्या कहें हम खामोश ही हो जाएँ अब ऐसे कि दिल से दिल की कहें हम चलो आज यूँ सिमट जाएँ ऐसे कि कभी जुदा न रहें हम तुम समा जाओ इन धड़कनों में ...

रातों को जाग जाग

रातों को जाग जाग कर रोएँ तेरे दीवाने दर्द अश्क़ और आहें तेरे इश्क़ की नज़राने दिल में है दर्द कितना आकर देख ले तू बहते हैँ अश्क़ मेरे अब छलके हैँ पैमाने रातों को जाग जाग ....... हमको कह...

दीवाना बना दिया है

दीवाना बना दिया है तेरी याद ने कन्हैया अब मेरे पास क्या है दर्द अश्क़ और आहें और मुझको क्या दिया है तेरी याद ने कन्हैया इक बार तो देख ले तू हाय दिल के जख़्म मेरे देख कैसे जी रही ह...

नाथ मोहे

नाथ मोहे अबकी बेर उबारो पतित अधम हूँ पर हूँ तिहारो मोहे ना श्याम बिसारो नाथ मोहे ....... अवगुण की मैं खान हूँ नाथा हाथ पकर मोहे कीजो सनाथा मेरी बिगरी आन सवारो नाथ मोहे........ भव बन्धन क...

युगल सेवा

चलो सखी युगल को लाड हम लड़ावें युगल चरण की थोड़ी सेवा कर आवें कोई देयो बीरा कोय चरण दबाओ री सेवा करो युगल की तभे सुख पाओ री भाव में कीजो सेवा युगल किशोर की सेवा में रहिये साँझ और ...

है अजब इश्क़ तेरा

है अजब इश्क़ तेरा है अजब तेरी मोहबत   तूने जो मुझको चाहा    तो मुझे मिली ये चाहत नज़रों से ऐसे देखा घायल हो चुके हम   तेरी चौखट पर पड़े हैँ     और कहाँ जाएँ हम तू ही मेरी इबादत तू ही ...

रातों को जाग जाग

रातों को जाग जाग कर रोएँ तेरे दीवाने दर्द अश्क़ और आहें तेरे इश्क़ की नज़राने दिल में है दर्द कितना आकर देख ले तू बहते हैँ अश्क़ मेरे अब छलके हैँ पैमाने रातों को जाग जाग ....... हमको कह...

मोहना प्रेम किये क्या पाई

मोहना !प्रेम किये क्या पाई । आस लगाई एकहुँ तुम्हरी ही सबसों हुई पराई। मोहना !प्रेम किये क्या पाई । मग जोवत बीत चली रे उमरिया अबहुँ ना सुधि ले मेरो साँवरिया व्याकुल भई बिरहन अ...

आलि री ! किस विधि प्रीतम पाऊँ

आलि री ! किस विधि प्रीतम पाऊँ दरस बिना मोरे नैना दुखें ,कैसो धीर धराऊँ । आलि री ! किस विधि प्रीतम पाऊँ। रैन बिताऊँ नैना माँहि ,प्रीतम बिन अकुलाऊँ । आलि री ! किस विधि प्रीतम पाऊँ । ...

दर्द हूँ मैं

दर्द हूँ मैं छेड़ना ना बिखर जाऊँगी मुझसे दर्द ले लिया तो मैं किधर जाऊँगी मुझको मेरे दर्द ही इतने अजीज हो चले खुद ही रख लूँगी किसी को न दे पाऊँगी दर्द हूँ मैं..... ग़र तुझे इश्क़ है मु...

बस इतना सा बता दे

बस इतना सा बता दे लम्बी जुदाई क्यों है मेरे नसीब में इश्क़ नहीं इतनी तन्हाई क्यों है दर्द जितने चाहे मुझे दे मेरे दिल की बात सुनले तू खुश रहे सदा ही मेरी रुस्वाई क्यों है बस इत...

दर्द ए बेकरारी

दर्द ए बेकरारी मेरे कम न कीजिए मेरी बस यही तमन्ना मुझे फनाह कीजिए जो तुम नहीं मेरे तो किस कम की है जन्नत मुझको अपने दिल में थोड़ी जगह दीजिए दर्द ए बेकरारी ....... रग रग में बस तपिश हो ...

जगन्नाथ जी

सड़क के किनारे बहुत लोगों की भीड़ और शोर गुल बस की प्रतीक्षा में खड़ी मेरी आँखें जाने क्या ढून्ढ रही थी । कभी चारों और शोर विशाल जन समूह बस गाड़ियां आज ये सब मन को व्याकुल किये। तु...

उधेड़ दूँ लाश को

दिल करता है उधेड़ दूँ इस लाश को क्यों सांसों का बोझ उठा रखा है मैं हैरान हूँ क्यों मैं अब तलक जिन्दा हूँ क्यों खुद को यूँ तमाशा बना रखा है नहीं ये ज़िन्दगी तो न थी मंजिल मेरी कभी ...

क्यों हम इश्क़ की उम्मीद

क्यों हम इश्क़ की उम्मीद लगा लेते हैं खुद को अपने ही गुनाहों से सज़ा लेते हैँ देख बिखरा हुआ है दर्द ही दर्द दिल में फिर क्यों महबूब हम तुमको बुला लेते हैं तुम ना आओ सुन लो यहां क...

तेरा इश्क़ है अजब

तेरा इश्क़ है अजब और अजब सी खुमारी है बढ़ती ही जाती है कैसी ये बेकरारी है देख तेरी तस्वीर ही मेरे होश उडे जाते है जाने अब किस रुख की तेरी तयारी है तेरा इश्क़ है अजब ...... बाँहों में ते...

simple question

To answer a simple question Who we are and What we want.     We are aannd . We are pleasure seekers , we are ras(pleasure) seekers because we are not different from it. We bolong to it. Yes we belong to it. We are basically departed from it but originally we are .    How far we are getting from our basic nature we are deforming. Because of our lust of aannd we seek ras from wordly objects. We get pkeasure throgh our sense organs. We countinue to make it more and more for ourself. Suppose we hear a song which we cherished a lot. Now to get more ras more pleasure out of it we sing it many times. We actually chew the song and take the ras ,the pleasure out of it. We seek pleasure from worldly objects which actually diminishes our senses. But by HIS grace if we get a little pleasure in HIS NAME in HIS LOVE. This ras this pleasure multiples and goes on increasing for ever.     The senses which were absorbed in seeking pleasure starts becoming inward...

इश्क़ करते हैं आपसे

इश्क़ करते हैँ आपसे और कुछ नहीं हम कर सकते चौखट तेरी ही ज़िन्दगी और ना कहीं पर मर सकते ये भी तेरी इनायत है जो तुमने इतना इश्क़ किया देने को क्या पास मेरे मोहन तुमने है इतना दिया त...

प्रेम पिपासु

हम जो होते प्रेम पिपासु मन में उठती प्रेम तृषा । जन्म गवाया भजनहीन ही स्वास् स्वास् कीन्हीं विरथा ।। मुख ते श्यामाश्याम नाम धरया ना जप जप होऊं सेवाहीन । भेस बनायो भगत को झू...