तेरे मिलने की हसरतें
तेरे मिलने की हसरतें दिल से निकालूँ कैसे
नहीं इख्तयार रहा कोई ये दिल अब सम्भालूँ कैसे
नहीं गवारा तेरे बिन जीना तू ही बता दे कैसे
ज़िन्दगी है दर्द का गीत अब गुनगुना लूँ कैसे
तेरे मिलने की हसरतें.......
तू आज वादा निभा जो मुझसे किया था कभी
हूँ अहसान फरामोश मैं वादा निभा लूँ कैसे
तेरे मिलने की हसरतें .......
बरसते हैं अश्क़ मेरे अब याद में तेरी
गिर कर बहने लगे जमीं पर उठा लूँ कैसे
तेरे मिलने की हसरतें.......
कितना बेचैन है दिल देख तेरे दीदार की खातिर
तुम कहो इसको अब जन्नत भी दिखा लूँ कैसे
तेरे मिलने की हसरतें.......
या तो कह दो इश्क़ नहीं झूठे हैँ सब ख्याल मेरे
तेरे सिवा कोई जँचता नहीं दिल में बिठा लूँ कैसे
तेरे मिलने की हसरतें दिल से निकालूँ कैसे
नहीं इख्तयार रहा कोई इस दिल को सम्भालूँ कैसे
Comments
Post a Comment