मोहन तुम कैसे हो

मोहन
तुम कैसे हो
कभी तुमको देखने को
मेरी आँखें तरस गई
कितना पुकारा तुमको
अब तुम आये हो
देखो अब
तुमको देखा भी नहीं जा रहा
कभी ये आँखें
तुमको घण्टों निहारती थीं
लगता है
आँखें ही बात करती थीं
अब तुमको देख भी नहीं पा रहीं
शायद इनके शब्द खत्म हो गए
अब आँखें भी बोल नहीं सकती
ये तुम क्या करते हो
सुना है जिस पर जादू करते हो
उसको मौन कर देते हो
अच्छा
ये आँखें भी मौन हो चलीं

क्या तुम इतने पास हो चले
बन्द आँखों से भी मिल जाओगे
जैसे तुम चाहो मोहन
जैसे तुम चाहो

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