दीन् हूँ मलीन हूँ

दीन हूँ मलीन हूँ जैसो कैसो हूँ तिहारी नाथ !
हूँ सिरमौर अधम की कैसो कहूँ मोहे राखो साथ !!

मेरी ढिठाई पर नेक सों दृष्टि ना कीजिये !
झूठन बड़ाई फसयो सांचो कियो हो अपराध !!

कैसो कहूँ मेरी और दया दृष्टि राखियो !
कैसो कहूँ कुंवरी सीस पर राख दीन्हों हाथ !!

श्यामाश्याम मन से ना वाणी से भज्यो कबहुँ !
जगत को झूठो बन्धन पड्यो हूँ दिन रात !!

तुम करुणामय मेरो युगल मेरो प्राण होय !
पातकी अधमी को पल हूँ ना बिसरात !!

सर्वथा अयोग्य मैं कुटिल हूँ कामी अति !
विषयन संग लिपटयो जो भुजंग लिपटात !!

युगल वर मोपे इतनी कृपा ही कीजौ !
पावन चरण अपनो धर दीजौ मेरे माथ !!

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