तराने इश्क़ के
जाने कौन से तराने थे इश्क़ के
जो हौले से तुम गुनगुना गए
दर्द इश्क़ के अजीब हैं साहिब
मीठे भी हैँ और दिल जला गए
जाने क्यों लम्बी सी रातें होने लगी
बिन तेरे काटे नहीं कटती रातें
जाने कब तुम दिल के जख्म सहलाए
जाने कब तू सुने दिल की बातें
देख रूह किसकती है तेरे बिन
फिर मेरी बेचैनी जवाँ हुई जाती है
आरजू तेरे पाने की मचल उठी थी
हाय जल जल धुआँ हुई जाती है
कब से अश्क़ आँखों में लिए बैठे हैं
बेखुदी के जाम हस हस के पिए बैठे हैं
रूह तक बिक चुकी तेरे लिए यार मेरे
देख हम लाश से मत सोच जिए बैठे हैं
क्या तेरे बिना भी ज़िन्दगी का मोल यहां
तू नहीं तो मुझे साँस भी गवारा ना हो
एक भी पल नहीं जीना मुझे ऐसा
जिसमें तू न हो या नाम तुम्हारा न हो
तू नहीं तो तेरा नाम ही रहे लबों पर
क्यों सुनते तुम बेचैन रूह की फरियाद नहीं
तेरे इश्क़ के एहसास से ही साहिब जिन्दा हैं हम
नहीं तो ज़िन्दा सी इक लाश हूँ आबाद नहीं
अब भूला दो मुझको तुम मेरा ही पता
डूबा दो ऐसे मुझे रहे कुछ और याद नहीं
तेरे सिवा कुछ और याद नहीं
बस मेरी कोई और फ़रियाद नहीं
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