कैसा इश्क़ तुम्हारा
प्यारे
ये कैसा इश्क़ है तुम्हारा
कोई तुमसे मिलने को
पल पल तरसता है
किसी की आँखों से देखो
पल पल सावन बरसता है
कोई छिप छिप तस्वीर तेरी
घड़ी घड़ी निहारता है
देखते होंगे महबूब मेरे
क्यों खुद को संवारता है
कोई सोच ये देखे आईंना
शायद उसमें तेरी सूरत हो
शायद तुम्हें हो इश्क़ किसी से
शायद किसी की जरूरत हो
मत बनो खुदा ऐसे की तुमसे
हाथ खोल बस दुआ माँगूं
हो गया इश्क़ इस नादान को
बस तुझसे तेरी ही वफ़ा माँगूं
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