कैसे तुम्हें बुलाऊँ
कैसे तुम्हें बुलाऊँ
तुम्हें इश्क़ कर ना पाऊँ
सीखी नहीं इबादत
कैसे मैं सर झुकाऊँ
ना कभी देखी प्यारे
मैंने तेरी मेहरबानी
नाम न लिया तेरा
मैंने कभी ज़ुबानी
नहीं काबिल तेरे प्यारे
कैसे नज़र मिलाऊँ
कैसे तुम्हें बुलाऊँ
तुम्हें इश्क़ कर ना पाऊँ
सीखी नहीं इबादत
कैसे मैं सर झुकाऊँ
कभी तेरी ख़ुशी न देखी
नहीं आया कुछ सलीका
नहीं बदला कभी मैंने
जिंदगी का तरीका
कितना मैल मुझ में
कैसे तुम्हें दिखाऊँ
कैसे तुम्हें बुलाऊँ
तुम्हें इश्क़ कर ना पाऊँ
सीखी नहीं इबादत
कैसे मैं सर झुकाऊँ
कैसे बसाऊँ मोहन
आँखों में सूरत तेरी
कभी समझा नहीं मैंने
तुमको जरूरत मेरी
कैसे तेरी और देखूं
कैसे तुम्हें रिझाऊँ
कैसे तुम्हें बुलाऊँ
तुम्हें इश्क़ कर ना पाऊँ
सीखी नहीं इबादत
कैसे मैं सर झुकाऊँ
तुम ही प्यारे मुझको
इश्क़ करना अब सिखाओ
नहीं काम की ये बस्ती
अपने शहर ले जाओ
नहीं रहना इस जहां की
बस तेरी ही बन जाऊँ
कैसे तुम्हें बुलाऊँ
तुम्हें इश्क़ कर ना पाऊँ
सीखी नहीं इबादत
कैसे मैं सर झुकाऊँ
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