काश ये दिल
मैंने तो आज अदा देखी अपने खुदा की
दर्द बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों मिलने की दुआ की
हूँ खतावार ये मैंने चल कबूल किया
कोई बात ही सुना दे अब मेरी सज़ा की
मैंने तो आज.......
नहीं कभी याद किया तुमको न ही इश्क़ हुआ
कोई बन्दगी भी तेरी मैंने कब और कहाँ की
मैंने तो आज ......
अब इन आँखों में बरसता है अश्कों का सावन
मैंने कब आँचल से अपने साहिब तुमको हवा की
मैंने तो आज .....
जला कर दिल मेरा देखो सुकून है उनको
क्या ये भी होती है कोई अदा उनकी वफ़ा की
मैंने तो आज .......
आजा अब देख भी ले सिसकती है रूह मेरी
तेरा भी दिल रोता है कहीं मैंने जफ़ा की
मैंने तो आज......
तू खुदा है तो खुदा बन कर ही रहना सदा
मुझे बन्दगी नहीं आई कभी कोई खुदा की
मैंने तो आज....
जब से दिल ये लगाया मैंने दर्द पाया है
क्यों लग रहा इश्क़ करके जैसे मैंने कोई खता की
मैंने तो आज......
अब हर जखम भी तेरा नाम लेकर रोने लगा
नहीं अब कोई भी जरूरत मुझे कोई भी दवा की
मैंने तो आज......
यूँ ही किसकने दो अब मेरे इन गमों को साहिब
मुद्दतों से हूँ नाकाबिल मुझमें काबलियत कहाँ की
मैंने तो आज.....
चलो मैंने अब तेरी चाहतें कबूल की साहिब
दे इतना सब्र कबूल हो मुझे हर तेरी रज़ा की
मैंने तो आज ......
नहीं कोई प्यास रही बाक़ी तेरा दीदार करूँ
हूँ धोखेबाज़ नहीं माफ़ी देना मेरे गुनाह की
मैंने तो आज अदा देखी अपने खुदा की
दर्द बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों मिलने की दुआ की
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