बिसराये दीन्हीं श्यामा

मोहे कहे बिसराए दीन्हीं श्यामा मैं तेरो चरणन चेरी !
शरण पड़ी हूँ अबहुँ मोहे राख्यो राधे देर भई बहुतेरी !!

कौन विधि रीझै मेरी लाडली जप तप विधि ना जानू !
चरण पखारूँ तेरो स्वामिनी मैं तोहे अपनी मानूँ !!

नेक दृष्टि कृपा की कीजौ श्यामा चरणन सेवा दीजौ !
कैसो धीर धरूँ मोरी श्यामा अबहुँ विलम्ब ना कीजौ !!

निर्बल को बल तुम्हीं किशोरी मेरो प्राणन को प्राण !
निरखो मेरी और स्वामिनी मोहे राख्यो अपनी जान !!

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