तेरे बगैर जीना कोई जीना

तेरे बगैर जीना कोई जीना तो नहीं
जिन्दा हूँ जिंदगी जीने की वजह तो नहीं

दर्द ये चीर देता है क्यों बार बार मुझे
जाने कब तलक होगा तेरा दीदार मुझे
यूँ छिप छिप कर कभी इश्क़ कभी हुआ तो नहीं
तेरे बगैर जीना कोई जीना तो नहीं
जिन्दा हूँ जिंदगी जीने की वजह तो नहीं

जाने तेरे बगैर ये सांसें चलती क्यों हैं
दिन गुज़रते हैं मेरे शामें ढलती क्यों हैं
हाय ये जिन्दा रहने का कोई तरीका तो नहीं
तेरे बगैर जीना कोई जीना तो नहीं
जिन्दा हूँ जिंदगी जीने की वजह तो नहीं

रूह सिसकती है कितनी आके जरा हाल तो देख
उठते रहते हैं दिल में कितने सवाल तो देख
मुझको मेरे सवालों का जवाब मिला तो नहीं
तेरे बगैर जीना कोई जीना तो नहीं
जिन्दा हूँ जिंदगी जीने की वजह तो नहीं

तीर पर तीर मेरे सीने पर लगता है ऐसे
जल रहे हैं ये जिस्म सुलगता है ऐसे
कभी सुकून इश्क़ करके मुझे मिला तो नहीं
तेरे बगैर जीना कोई जीना तो नहीं
जिन्दा हूँ जिंदगी जीने की वजह तो नहीं

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