ये अलफ़ाज़ मेरे
ये अलफ़ाज़ हैँ तेरे
तो कलम है मेरी
जिया है मैंने जिसको
वो नज़्म है तेरी
जाने कैसी हो गयी है मुझे
बेखुदी बेखुदी
दिल में ये जो भी अरमान हैँ
तेरी ही मोहबत के तूफ़ान हैं
जी रही मैं अब किसी
जिंदगी जिंदगी........
जिंदगी जीने का भी मज़ा है
बिन तेरे जीना भी इक सज़ा है
कर बैठे तुझसे अब सनम
दिल्लगी दिल्लगी......
तेरी ही बातें अब मैं सुनती हूँ
दिल में जाने क्या क्या ख्वाब बुनती हूँ
कैसी है तेरी ये
आशिकी आशिकी.......
तेरा इश्क़ मेरे जीने की वजह है
यूँ इश्क़ करना भी तेरी अदा है
ये ही है अब मेरी
बन्दगी बन्दगी.......
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