तेरी रहमतों की श्यामा
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी
दुनिया को ठुकराकर जो भी तेरे दर आया
नहीं देखे ऐब तुमने अपने गले लगाया
जिंदगी सँवर गयी बनी बिगड़ी बात ऐसी
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी
ये भी तेरी ही रहमत है तेरा नाम जुबां पर आया
जिसपर करो इनायत वही तेरा नाम गाया
वरना कहाँ उठती है इस दिल में बात ऐसी
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी
सजदा तुम्हें किया ना नहीं की इबादत कोई
दुनिया की उलझनों में पल पल रही मैं खोई
कभी श्यामा नाम गाऊँ नहीं मेरी जात ऐसी
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी
इतना करम अब करना मुझे अपना नाम देना
बिखरी हुई है हस्ती तुम कोई अँजाम देना
खिदमत करूँ तुम्हारी नहीं मुझमें बात ऐसी
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी
रखना अपने कदमों में यही मेरा आशियाना
कभी छोड़ कर ना जाऊँ श्यामा तेरा बरसाना
बना कर रखना मुझपर नज़र ए इनायात ऐसी
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी
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