कैसे मिलोगे तुम मुझको

कैसे मिलोगे तुम श्याम प्यारे इन आँखों ने तुमको पहचाना नहीं
तुम तो सदा से ही थे अपने मैंने ही तुम्हें कभी माना नहीं

तुमको ही देखूं मैं हर और मोहन चलो आज मुझको ऐसी नज़र दो
नहीं घबराये पकड़े तेरा ही आँचल मेरे दिल को मोहन ऐसा कर दो
बस जाओ दिल में अब ऐसे कन्हैया देखो कभी फिर जाना नहीं
कैसे मिलोगे.......

सुनो मेरी विनती मोहन मेरे मन को इन सब विषयों को हटा दो
रहे वास तेरा सदा ही प्रिया संग मेरे मन को वृन्दावन बना दो
रहो मन में मेरे सदा मुस्कुराते देखो विनय भूल जाना नहीं
कैसे मिलोगे........

कहीँ इस जग में भटक मैं न जाऊँ मुझे मोहन देना तुम सहारा
भूलूँ चाहे मैं सारे जगत को तेरा नाम मुझको प्राणों से प्यारा
श्यामाश्याम गाए सदा मेरी जिव्हा और कुछ मुझको गाना नहीं
कैसे मिलोगे......

सदा ही प्रिया संग तुम विराजो मुझे अपनी सेवा ही देना प्यारे
पकड़ हाथ मेरा निकालो भँवर से तुम्हारे बिना कोई कैसे निकारे
तेरी ही चौखट मंजिल है मेरी और कहीँ अब जाना नहीं
कैसे मिलोगे तुम श्याम प्यारे इन आँखों ने तुमको पहचाना नहीं
तुम तो सदा से ही थे अपने मैंने ही तुम्हें कभी माना नहीं

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