काहे तू मनवा भजन करे ना
काहे तू मनवा भजन करे ना
काहे करे ना नाम हरि उच्चार
छोड़ दे सब दुनिया के धंधे
काहे दीन्हे तूने हरि बिसार
ये मोह माया झूठी होय सगरी
छोड़ क्यों तू ये झूठी नगरी
नहीं कोई अपना तेरा यहां बन्दे
हरि भजन ही जीवन का सार
काहे तू मनवा......
बीत गयी है कितनी उमरिया
भर गयी तेरी पाप गगरिया
नाम हरि का ही करेगा पावन
नाम से ही होगा तेरा उद्धार
काहे तू मनवा .......
हरि कृपा से मानुष देह पाई
व्यर्थ के बन्धन में उम्र गवाई
अब तो सम्भल जा मूर्ख प्राणी
हरि ही तेरे जीवन के आधार
काहे तू मनवा.......
लाख चौरासी तूने योनि बिताई
बिना हरि भजन ही उम्र गवाई
अब तो निद्रा से जाग ले प्राणी
गुण गा हरि के तू जीवन सुधार
काहे तू मनवा.....
काहे तू मनवा भजन करे ना
काहे करे ना नाम हरि उच्चार
छोड़ दे सब दुनिया के धंधे
काहे दीन्हे तूने हरि बिसार
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