लुत्फ़ मोहबत का

सुना है लुत्फ़ मोहबत में असली लेना हो गर
तू यार से मिलने की ख्वाहिश ही रहे दिल में

मिलना हो गर तो तड़प ही रहे दिल में यार की
यही तड़प रखे ज़िन्दा तुझे हर एक महफ़िल में

तू जुदा है महबूब से ये भी भूल जाएगा तुझे
मज़ा तब भी तुझे आए जब किश्ती डूबे साहिल में

तुझे मिलेगी वो लज्ज़त उसकी का नाम लेने में
जिसकी सूरत बसा लेगा तू एक बार इस दिल में

ये दीवानगी सी अलमस्त हो जाएगी फिर तुझ पर
ये सोचेगा तू उसके दिल में या वो तेरे दिल में

दीदार की भी तलब तलब ही रह जाए बस
उतर जाए वो कुछ ऐसे जैसे धड़कन तेरे दिल में

देखोगे क्या अपनी धड़कन बस महसूस करो उसको
वही है ज़र्रे ज़र्रे में जो बैठा है तेरे दिल में

मुझे तेरे मिलने से ज्यादा अब मज़ा आया तड़पने में
लगी है आग मीठी सी लगी जो ना कभी दिल में

नहीं सोचा था जख्म भी मुझे इतने भाएंगे कभी
रास्ता से भी इश्क़ होगा ऐसी प्यारी सी मन्ज़िल में

हाँ इश्क़ हो गया तुझसे नहीं तेरे ख्यालों से ही
सरेआम करते हैं तेरे चर्चे हम हर एक महफ़िल में

तू रह जा अब मेरे दिल में
हाँ कान्हा बस मेरे दिल में

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