थोड़ी सी चिंगारी है

थोड़ी सी चिंगारी है ज़रा और हवा देना
दर्द की हो इंतहा तुम इतना बढ़ा देना

नहीं जीना बिन तुम्हारे
मुझे हैं दर्द कबूल सारे
नहीं जख्मों का इलाज़ तो गहरा कर देना
थोड़ी सी चिंगारी है ज़रा और हवा देना
दर्द की हो इंतहा तुम इतना बढ़ा देना

मेरी बेबसी को समझना
नहीं मुझे कहीँ भटकना
अपने ही पहलू में अब मुझको पनाह देना
थोड़ी सी चिंगारी है ज़रा और हवा देना
दर्द की हो इंतहा तुम इतना बढ़ा देना

नहीं दिल में ज़रा मोहबत
नहीं आती मुझे इबादत
तुमको गर इश्क़ हो थोड़ी सी सिखा देना
थोड़ी सी चिंगारी है ज़रा और हवा देना
दर्द की हो इंतहा तुम इतना बढ़ा देना

सूखे हैं अश्क़ सारे
दिल में जले अँगारे
इस इश्क़ की तपिश को न कभी घटा देना
थोड़ी सी चिंगारी है ज़रा और हवा देना
दर्द की हो इंतहा तुम इतना बढ़ा देना

है मज़ा अब जलने में
रोने में सिसकने में
ये आग बढ़ती जाए बस इतनी दुआ देना
थोड़ी सी चिंगारी है ज़रा और हवा देना
दर्द की हो इंतहा तुम इतना बढ़ा देना

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