श्री जू का प्राकट्य#
श्री जू का प्राकट्य
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सम्पूर्ण ब्रह्माण्डोँ की स्वामिनी जगदीश्वरी श्री राधिका का प्राकट्य होने को है। धन धन भाग्य भारत भूमि के। धन धन भाग सम्पूर्ण ब्रजमण्डल के जहां किशोरी जू का प्राकट्य उत्सव हो रहा । धन धन भाग्य उन भक्तों रसिकों के जिनके हृदय का धन स्वामिनी श्री राधा जू के चरण हैं। राधा नाम ही जिनका जीवन धन है। पूरे ब्रजमण्डल में ये आनंद उत्सव है।
श्री किशोरी जू के ननिहाल रावल गावँ में लाडली जू प्रकट होने वाली हैं । सम्पूर्ण ब्रजमण्डल अद्भुत आनन्द से परिपूर्ण हैं। देव लोक से सुर ,देव,गन्धर्व सब स्वामिनी जू की एक झलक पाने को लालायित हैं । घर घर में उत्सव हो रहा। लाडली जू का पलना सजाया जा रहा । सब भक्तों का मन आज उन घुँघरूओं की भांति ध्वनित हो रहा है । आहा ! धन भाग जो इनकी ध्वनि हमारी लाडली जू के कानों में पड़ेगी। सम्पूर्ण सृष्टि ही इस प्राकट्य को निहारने में उन्मादित हो रही । हर और राधा नाम राधा रस आलोकित हो रहा । आज हर हृदय ब्रजधाम बन जावे और लाडली जू सबको अपने प्रेम से परिपूर्ण करें । जय जय श्री राधे।
श्यामा कब आवें सब अखियाँ बिछाएं हैँ
प्यारी तेरे पलने में घुँघरू लगाए हैँ
कब हो दरस कीर्तिदा सुकुमारी का 2
देव भी दरस को आकाश में आए हैं 2
श्यामा कब .....
घर घर मिल सखी तोरण सजाओ री 2
रावल गाऊँ के आज भाग जगाए हैं 2
श्यामा कब .........
समस्त ब्रह्माण्डों की स्वामिनी का उत्सव है 2
सुर देव गन्धर्व सब साज लेकर आएं हैं 2
श्यामा कब.......
चलो सखी आज हम उत्सव का आनंद लें 2
श्यामा गुणगान भी भाग वाले गाए हैं 2
श्यामा कब ........
जिन पर कृपा मेरी लाडली की होती है 2
वही देख देख श्यामा लाड लड़ाएं हैं 2
श्यामा कब आवें सब अखियाँ बिछाएं हैँ
प्यारी तेरे पलने में घुँघरू लगाए हैँ।
जय जय श्री राधे
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