आज श्याम मेरी बैयाँ
सखी !
आज श्याम मोरी बैयाँ मरोरी
करे नितनित मोते बरजोरी
छीन लीन्हीं मेरी दहीं मटकिया
हाय सखी नटखट ने फोरी
घड़ी घड़ी सखी राह मेरो रोके
कहाँ चली हाय सखी मोहे टोके
बैरी तीर अखियों से चलाए
कर गयो मेरे मन की चोरी
सखी !.........
फोड़ दीन्हीं सखी मेरी मटकिया
दूंगी नहीं जा तेरी बाँसुरिया
लगे तू चोर ठगन को राजा
नीयत ठीक लगे नहीं तोरी
सखी ............
मैया को अब मैं दूंगी उलाहना
आज मोहे नन्द भवन को जाना
कह दूंगी लम्पट तेरो कन्हाई
राह चले ते करे नित बरजोरी
सखी !
आज श्याम मोरी बैयाँ मरोरी
करे नितनित मोते बरजोरी
छीन लीन्हीं मेरी दहीं मटकिया
हाय सखी नटखट ने फोरी
सखी .........
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