तुम क्या जानो सांवरे

तुम क्या जानो सांवरे हम कितना तरसते हैँ
तेरी जुदाई में नैना दिन रात बरसते हैँ

भूल जाऊँ मैं तुमको कभी ये भी सोचा एक दिन
जितना भुलाया याद तू आया रात कटी तारे गिन
ऐसे दर्द भरे पल मोहन हाय कैसे गुज़रतें हैं
तुम क्या जानो.........

ये कैसा इश्क़ है साहिब मिलकर तुम नहीं मिलते
दिल हुआ मुरझाए फूल सा जो खिलकर नहीं खिलते
कितने दर्द समेटे दिल में तेरे दर से निकलते हैँ
तुम क्या जानो ........

दर्द दिया है तुमने तो अब दिल के हाल दिखाऊँ किसे
तुम जो मेरी बात सुनो न और भला मैं सुनाऊँ किसे
दिल में दबे दबे अरमान कभी ऐसे मचलते हैं
तुम क्या जानो .........

जो ये जानती इश्क़ है ऐसा हाय कभी मैं करती ना
आहें सिसकियाँ अश्क़ मिलेंगे ऐसी खता मैं करती ना
दिल समझे ना रोज़ रोज़ हम आहें भरते हैँ
तुम क्या जानो सांवरे हम कितना तरसते हैँ
तेरी जुदाई में नैना दिन रात बरसते हैँ

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