जिया है तेरी मोहबतो को
जिया है मैंने तेरी मोहबतों को
तेरा इश्क़ मुझे कितना अज़ीज़ हो चला
तेरा मिलना ही हुआ इबादत मेरी
तेरा मिलना ही मेरी ईद हो चला
तेरे छूने से महकने लगी है रूह मेरी
इन फ़िज़ाओं में ख़ुशबुओं के एहसास हुए
दूर रहना तेरा मौत से कम तो नहीं
साँस तब आई जब इतने पास हुआ
देखो यूँ ही समेटे रहना आगोश में अपने
तेरा लौट जाना अब मुझे ग्वारा नहीं होगा
बहुत सह चुका है ये दिल बेकरारी
तेरे बगैर और कोई सहारा नहीं होगा
काश यूँ ही ग़ुज़र जाए उम्र तेरे पहलू से लिपटे ही
यूँ ही आखिरी सांसें भी मुकम्मल हो जाएं
रंग बिखरा रहे यूँ ही तेरे मेरे इश्क़ का
तेरे वजूद में ही मेरा वजूद मुकम्मल हो जाए
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