पल ना बिसरे

पल नाय बिसरे ये नवल जोरी
पल पल को नेह बरसाय है
कोउ कहे ब्रह्म कोउ निर्गुण कहे
रसराज तो ब्रज कुंवर कहाय है
नाय चार भुजा कोई नाय कोउ देव होवै
प्रीति को याचक प्रीति सुख पाय है
बलिहार जाऊँ इस नवल जोरी ते
ब्रज के किशोर कुञ्ज बिहारी कहाय है

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