मेरा आँचल
मेरा आँचल ही उड़ उड़ लिपटता है मुझसे
क्यों तुमने छू कर इसे भी मदहोश कर दिया
देखो फिर फिर उड़ रहा है इस कद्र
जैसे मेरे दिल में जज़्बात मचलते हैं
हाय !!
क्यों छू लिए तुम इसको
देखो इसकी बेकरारी भी अब
मुझसे देखी नहीं जा रही
उड़ उड़ कर मुझसे कुछ इस क़दर लिपट रहा है
शायद ये तुमको ही ढून्ढ रहा
मिलने के लिए
मेरी हर चीज़ को तुमसे ही इश्क़ हो चला
शायद ये अब मेरी नहीं रहीं
तुमको ना पाकर तुम्हें खोजती हैं
यही हाल मेरे दिल का भी है
ओह
अब सब कुछ तुम्हारा हो गया
मेरे पास रहकर भी मुझे
पहले से प्यारा हो गया
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