अगर गुस्ताखी मैं न करूँ
अगर गुस्ताखी मैं ना करूँ तो कौन कहे दिलदार तुझे
ले लो अब तो शरण में अपनी दे दो थोडा प्यार मुझे
माना नहीं काबिल थी कभी भी के दीदार तेरा हो
नहीं हुआ कभी इश्क़ तुम्हीं से की हक़दार दिल मेरा हो
तुम क्यों नहीं निभाते वादा कैसे कहूँ मेरे यार तुझे
अगर गुस्ताखी ........
नहीं आता मुझे इश्क़ निभाना तेरे इश्क़ पर यकीन करूँ
तुम देते हो बेसबब प्यारे हूँ गुस्ताख तौहीन करूँ
तलब लगा दो अपनी मुझको करो थोडा तलबगार मुझे
अगर गुस्ताखी .......
मुझसे हुई नहीं कोई इबादत नाम तेरा नहीं लब पर आया
नहीं चाहा कभी दिल से तुमको दुनिया को इस दिल में बैठाया
कैसे कहूँ मुझको अपनालो करदो थोडा हक़दार मुझे
अगर गुस्ताखी ........
मुद्दत से तुझसे बिछड़ी हूँ जाने कब अपनाओगे
कब इस दिल में करो आशियाना कब तुम रहने आओगे
कब तेरी मैं सीखूं इबादत कब करो शुक्रगुज़ार मुझे
अगर गुस्ताखी मैं ना करूँ तो कौन कहे दिलदार तुझे
ले लो अपनी शरण में अब तो दे दो थोडा प्यार मुझे
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