इस इश्क़ की आग में

इस इश्क़ की आग में जलना हम परवानों की आदत है
आहें भरना और सिसकना यही इश्क़ की बरकत है

हो इश्क़ कभी ना आँख बहे सोचो ये कैसे मुमकिन है
हो आग लगी तो जलना ही हम परवानों की फितरत है
इस इश्क़ की आग ........

जैसे महबूब हो तेरी ख़ुशी हम दिल पर पत्थर रख लेंगें
ये दिल भी तेरा और हम भी तेरे और तुझसे ही मोहबत है
इस इश्क़ की आग .......

बेचैन है रूह है तुझसे जुदा ये यही दिल में गम है मेरे
है जो भी मेरा सब नज़र तेरी साहिब तेरी ही अमानत है
इस इश्क़ की आग......

नहीं मुझको इश्क़ हुआ साहिब ये जो भी बस इश्क़ तेरा
ज़िन्दा हूँ मैं तेरी रहमत है साहिब तेरी ही मोहबत है
इस इश्क़ की आग.......

इस इश्क़ की आग में जलना हम परवानों की आदत है
आहें भरना और सिसकना यही इश्क़ की बरकत है

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