कैसे दीदार पाऊँ
कैसे दीदार पाऊँ बता दिल में मेरे तड़प नहीं
नहीं बेचैनियां कोई यहां थोड़ी सी भी कसक नहीं
थोड़ी सी भी कसक होती तो तेरा नाम लेती
तुझे ढूंढती ये आँखें नहीं थोड़ा आराम लेती
इन आँखों में तेरे बिना होती कोई चमक नहीं
कैसे दीदार पाऊँ बता दिल में मेरे तड़प नहीं
नहीं बेचैनियां कोई यहां थोड़ी सी भी कसक नहीं
तेरी ही खुशबू होती तो महकती ये ज़िन्दगानी
यूँ ठहरती नहीं कभी मैं मिलती मुझे रवानी
इस बेरंग से जीवन में थोड़ी तेरी महक नहीं
कैसे दीदार पाऊँ बता दिल में मेरे तड़प नहीं
नहीं बेचैनियां कोई यहां थोड़ी सी भी कसक नहीं
कितनी खामोशियाँ हैं तेरी नहीं आवाज़ कोई
बेवजह सी ज़िन्दगी है नहीं इश्क़ का साज़ कोई
इस बेरंग सी महफ़िल में तुझ बिन कोई खनक नहीं
कैसे दीदार पाऊँ बता दिल में मेरे तड़प नहीं
नहीं बेचैनियां कोई यहां थोड़ी सी भी कसक नहीं
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