मोहे चरण रज दीजो

किशोरी !
मोहे चरण रज दीजौ
लाडली !
अब मोहे अपनी कीजौ

भटक भटक कर आन पड़ी अब मैं द्वार तिहारे
अब मोहे अपनी कीजौ लाडली ये दासी यही पुकारे
जाने कौन विधि हो लाडली तुम मोते रीझो
किशोरी !
मोहे चरण रज दीजौ

पतित मलिन जो भी द्वारे आया तुमने है अपनाया
करुणामयी किशोरी तेरा दयामयी नाम धराया
इस पतिता पर भी लाडली अपनी करुणा कीजौ
किशोरी !
मोहे चरण रज दीजौ

दासी बनू तुम्हारी लाडली सेवा तेरी ही पाऊँ
तेरे ही गुणगान लिखूं तेरी ही महिमा गाऊँ
और कछु नहीं माँगूँ लाडली चरणन नेह कीजौ
किशोरी !
मोहे चरण रज दीजौ

तेरे द्वारे पड़ी लाडली और कहीं ना जाऊँ
किस विधि रीझै मेरी भोरी श्यामा कौन विधि अपनाऊँ
जग के फन्द काटो श्यामा मोहे शरण रख लीजौ
किशोरी !
मोहे चरण रज दीजौ

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