माँ सा प्रेम
माँ सा प्रेम किया है जिसने
नहीं पाया पहचान तू
अपने हाथों कत्ल किया है
दरिंदा ही है इंसान तू
चन्द नोटों की खातिर तूने
क्या क्या खेल बनाए हैं
जगह जगह खुले हैं बूचड़खाने
और मन्दिर गिरवाएं है
मैंने आज इंसानियत को भी
बैठकर रोते हुए पाया है
गौ हत्या और मनुष्य हत्या का
कुछ रहस्य समझ आया है
प्रेम करुणा ममता सब झूठी है
तेरा खुदा अब पैसा है
जानवर भी तुझसे बेहतर अब
तू इंसान भी कैसा है
धन ही अब भगवान है तेरा
भीतर कोई आवाज़ नहीं
गौ सेवा या मानव सेवा का
आज कोई रिवाज़ नहीं
मगर एक बात याद रख
अभी सम्भल जो तुम नहीं पाए
आने वाली नस्ल तेरी ही
इंसान ही इंसान को खाए
देखना ये सब होगा ऐसे ही
रोक लो इसे भीतर की सुनो
रो रही गौ रो रही धरती
अब इनकी कोई बात सुनो
हाय इनकी कोई बात सुनो
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