कबसे कहे पिया

कब से कहे पिया आवन की सखी अबहुँ नहीं पिया आये री
निंदिया ना आवे पलक ना लागे हिय मेरो चैन ना पाये री

पीहू पीहू बोल पपीहा सखी री रैन दिवस क्यों गाये री
लाज ना आवे तोहे दूर पिया मेरे क्यों बिरहन को जलावे री
कब से कहे.........

हाय सखी तन मन रोगी भया मेरो कोई वैद बुलाये री
दूर भी पल को पिया मेरो जावे प्राण निकलते जायें री
कब से कहे........

जाओ सखी कोई सन्देस दो मेरो पल पल बीता जाये री
अबहुँ न आये जो प्राणनाथ मेरो प्राण ना देह समाये री
कब से कहे........

बिरहा की पीर सखी अति भारी मुख पर नाम ना आये री
हूक उठे रह रह मन सों कोई तो पिया को बुलाये री
कब से कहे.........

जमुना ना जाऊँ अखियाँ ही जमुना पल पल नीर बहाएँ री
आ जा पिया अब रह नहीं पाऊँ कौन विधि समझाएं री
कब से कहे......

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