जब भी दिल
जब भी दिल तन्हाई में घबराया है
हमसफ़र तुमको ही संग पाया है
जब भी दिल......
दर्द कोई आया तो लब पर तेरा नाम आया
पल पल लगता की अब तेरा पैगाम आया
रंग जीवन को तूने नया दिखाया है
जब भी दिल.......
एक तू ही मिला मुझको इस ज़माने में
गा रही हूँ तेरा ही नाम हर तराने में
मेरी हर बात में क्यों ज़िक्र तेरा आया है
जब भी दिल.......
हमसफ़र यूँ ही रहना मुस्कुराते हुए
देखती रहती हूँ तुमको मैं आते जाते हुए
दूर रहते हो फिर भी करीब तुमको पाया है
जब भी दिल.......
मैं मुसाफिर हूँ तुमने मंजिल दिखा दी मुझको
इश्क़ पर चलने की ये राह बता दी मुझको
तुझमें ही खो मैंने खुदा पाया है
जब भी दिल.......
जब भी राह में कोई मोड़ आया है
हर जगह साथ तेरा ही मैंने पाया है
धड़कन बन तू अब दिल में मेरे समाया है
जब भी दिल........
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