इतनी इनायतें
मत बख्शो इतनी इनायतें मेरे मौला
मैं तेरी रहमतों के काबिल नहीं हूँ
बस शौक रखा मैंने सजदा करना
कभी तेरे दर पर ना सर को झुकाया
ना आई इबादत ना आई मोहबत
बस गुस्ताख हूँ की हैं गुस्ताखी
फिर भी तूने अपनी मोहबत निभाई
मत बख्शो इतनी इनायतें मेरे मौला
मैं तेरी रहमतों के काबिल नहीं हूँ
बस शौक रखा मैंने सजदा करना
कभी तेरे दर पर ना सर को झुकाया
ना आई इबादत ना आई मोहबत
बस गुस्ताख हूँ की हैं गुस्ताखी
फिर भी तूने अपनी मोहबत निभाई
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