मैं पूजा की थाल

तुम ही मेरे देव बनो और मैं पूजा की थाल बनूँ

रहो नित्य प्रेम मगन तुम प्रेम राशि बढ़ती जाए
दासी की अभिलाष यही मेरे युगल सदा रहें हर्षाए
एक दूसरे के गले डालो मैं ऐसी जयमाल बनूँ
तुम ही मेरे देव बनो और मैं पूजा की थाल बनूँ

नित्य नित्य रस रहे आपका नव नव माधुर्य रहे
ब्रज कणिका बनूँ कभी मैं जीवन मेरा यहीं मिले
तृण सी दीन बना दो मुझको नहीं कोई गिरि विशाल बनूँ
तुम ही मेरे देव बनो और मैं पूजा की थाल बनूँ

लता पता कोई बनूँ ब्रज की निरख निरख तुम्हें सुख पाऊँ
ऐसी वाणी नहीं मेरी की युगल आपका यश गाऊँ
कभी छाया दे सकूँ आपको ऐसा वृक्ष तमाल बनूँ
तुम ही मेरे देव बनो और मैं पूजा की थाल बनूँ

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