क्या ऐब देखूं

क्या ऐब देखूं खुद में और दुनिया में
मुझको अपनी चाकरी से फुर्सत नहीं देना

जिस इबादत के बदले में मांग लूँ तुझको
मौला मेरे मुझे ऐसी इबादत नहीं देना

मोहबत हो सिर्फ तुझसे और नफरत तेरी दुनिया से
सरकार ऐसी भी मुझे मोहबत नहीं देना

तेरे होते भी तेरी जरूरत महसूस करूँ
ऐसी कभी मुझको तुम जरूरत नहीं देना

खुद को मिटा सकूँ ये भी आरज़ू नहीं हो
क्योंकि तेरी हूँ मिटने की भी हसरत नहीं देना

ना इल्म हो मुझे अपनी बेखुदी का भी
जो तुझसे दूर करे ऐसी नीयत नहीं देना

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