लाडली अब मोहे

लाडली अब मोहे अपनी कीजो किशोरी
बहुत देर भई लाडली श्यामा अब सुधि लो मोरी

द्वार तेरे पर याचक हूँ मैं अब तो मोहे बुला लो
चरणों की धूल बना लो श्यामा मोहे अपना लो
कितने जन्मों दूर रही हूँ श्यामा मैं दासी तोरी
लाडली अब मोहे अपनी कीजो किशोरी

दूर रहूँ मैं कब तक लाडली तेरे द्वार पड़ी हूँ
तेरी ही आस लगाए श्यामा देखो कब से खड़ी हूँ
तुम कब देखी पाप जनन के मेरी श्यामा भोरी
लाडली अब मोहे अपनी कीजो किशोरी

तेरे नाम बिन पल भी बीते व्यर्थ है जीवन मेरा
तुम्हीं से उजाला इस जीवन का बाक़ी घोर अँधेरा
तेरे चरणों में अब पड़ी मैंने तुम संग बांध ली डोरी
लाडली अब मोहे अपनी कीजो किशोरी

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून