मैली चादर
मैली चादर ओढ़ और कैसे आऊँ द्वार तिहारे
और नहीं ठौर कोई स्वामिनी दासी तेरा नाम पुकारे
मैली चादर........
हूँ अधम पतित गुणहीना पर श्यामा तुमने कब देखा
करुणामयी करुणा से खींचो मस्तक पर तेरे नाम की रेखा
दयानिधि मोहे भिक्षा दे दी दासी खड़ी है हाथ पसारे
मैली चादर........
नाम तेरा ही रटूं राधिके तेरे ही गुण गाऊँ
कब रीझै मेरी भोरी किशोरी नित नित तुझको शीश नवाऊँ
तेरी ही कृपा से कटेंगे भव बन्धन जगत के सारे
मैली चादर.........
अश्रु से तेरे चरण पखारूँ अब स्वामिनी सुधि लो मोरी
नित नित बलिहार लूँ मैं लाड़ली दासी हूँ अब मैं तोरी
और चढ़ाने को क्या है जीवन समर्पित किया तुम्हारे
मैली चादर........
जन्मों की मैली मेरी चदरिया कैसे तेरा नाम जपूं मैं
इतनी दया करो मोरी श्यामा राधे राधे रटा करूँ मैं
प्रेम सागर में अब तो डुबो दो कबसे खड़ी हूँ मैं किनारे
मैली चादर.........
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