हाय मनमोहन
हाय मनमोहन क्यों देर करी
कबसे बैठी राह निहार रही
तुम आये नहीं श्याम प्यारे
हाय हिय पीर ना जाए जरी
कितनी प्रतीक्षा और प्राणधन
रीत चली मेरी जीवन गगरी
मत दो पीड़ा अब विरहन को
मनमोहन तुम संग प्रीत मेरी
हाय मनमोहन क्यों देर करी
कबसे बैठी राह निहार रही
तुम आये नहीं श्याम प्यारे
हाय हिय पीर ना जाए जरी
कितनी प्रतीक्षा और प्राणधन
रीत चली मेरी जीवन गगरी
मत दो पीड़ा अब विरहन को
मनमोहन तुम संग प्रीत मेरी
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