तेरे इश्क़ में

तेरे इश्क़ में संवरने की आदत हो चली
अब मुझे कुछ कर गुज़रने की आदत हो चली
तेरे इश्क़ में......

अब मुझे बस तेरी ही कशिश है सनम
जाने क्यों दिल में थोड़ी सी दबिश है सनम
तुझसे इश्क़ करना ही मेरी इबादत हो चली
तेरे इश्क़ में......

नहीं सोचा था की तुझसे यूँ मोहबत होगी
खुद को ही भूल चली ऐसी तेरी आदत होगी
पर इश्क़ तेरा दुनिया के लिए आफत हो चली
तेरे इश्क़ में......

अब यूँ ही इश्क़ में तेरे ही खोई रहूँ
छोड़ परवाह गैरों की तेरी ही होई रहूँ
यूँ इश्क़ करना औरों के लिए कयामत हो चली
तेरे इश्क़ में........

है इश्क़ तुझे तो ही मुझे तुझसे इश्क़ हुआ
तू बन गया मेरे होंठों पर एक दुआ
तेरी मोहबत से भी अब मुझे मोहबत हो चली
तेरे इश्क़ में.......

तन्हाई के गौर ज़िन्दगी से से गुज़र गए
साथ तेरा जो मिला हर और ख्वाब बिखर गए
मुझको तेरे हसीन ख्वाबों की आदत हो चली
तेरे इश्क़ में.......

दर्द और मायूसी में मैंने एक उम्र गुज़ारी है
बीत गए दिन अब तेरे इश्क़ की खुमारी है
दर्द और तन्हाई की महफ़िल से अब रुखसत हो चली
तेरे इश्क़ में.......

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून