प्रेम सागर अति मधुर
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प्रेम सागर अति मधुर
जो इक डुबकी लगाए
गुड मीठा ज्यो खांड ही
अति मीठा होई जाए
अति मीठा होई जावे
नाम रसना सों गावे
रसना रस चाखे मीठा
हरि हरि ही तब गावे
हरि हरि गा मन मेरे
हरि नाम विराजे आप
जग बन्धन कट जाएँ सभी
मिटें सभी कलह संताप
मिटें मन की पीर हरि
जब हृदय विराजें आन
हरि नाम हरि सों मीठा
हरि हरि ही जान
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