ज़िक्र भी तेरा

ज़िक्र भी तेरा ज़ुस्तज़ु भी हुई तेरी
मेरे महबूब आरज़ू भी हुई तेरी
ज़िक्र भी तेरा......

बड़ी मुद्दत से नाम तेरा जुबां पर आया है
मेरे महबूब इस क़दर तू मुझमे समाया है
झलक मिल रही अब हरसू मुझे तेरी
ज़िक्र भी तेरा.....

लग जाओ गले की अब दिल की धड़कन सुनो
सपने आज इश्क़ के इन आँखों में तुम बुनो
लब हैं खामोश सुन रही फिर भी गुफ्तगू तेरी
ज़िक्र भी तेरा.......

आरज़ू है की तेरे पहलू में कटे जिंदगी मेरी
तेरा इश्क़ ही हो गया अब बन्दगी मेरी
दिल को हर पल ही रहे आरज़ू तेरी
ज़िक्र भी तेरा......

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