नाम धन

हे राधिके !मेरी श्यामा मेरी विनय सुनो लाडली । पता नहीं कितने जन्मों से आपसे दूर हूँ । ऐसी कृपा करो की तुम्हारा नाम हर पल मेरी जिव्हा पर रहे मन में रहे। मैं तुम्हारे नाम धन के खजाने से निर्धन हूँ । मुझ पर कृपा करो श्यामा । एक कृपा और कीजो किशोरी इस धन के लिए मैं सदैव निर्धन ही रहूँ क्योंकि जिस क्षण मुझे ये आभास हुआ की मुझे धन मिला मेरा धन छूट नहीं जाये लाडली । भिक्षा दो इस धन की और निर्धन ही रहूँ ताकि आपके द्वार से सदैव इस धन की याचना करती हूँ

किशोरी !
मोहे नाम धन दीजौ
लाडली !
अब मोहे अपनी कीजौ

भटक भटक कर आन पड़ी अब मैं द्वार तिहारे
अब मोहे अपनी कीजौ लाडली ये दासी यही पुकारे
जाने कौन विधि हो लाडली तुम मोते रीझो
किशोरी !
मोहे नाम धन दीजौ

पतित मलिन जो भी द्वारे आया तुमने है अपनाया
करुणामयी किशोरी तेरा दयामयी नाम धराया
इस पतिता पर भी लाडली अपनी करुणा कीजौ
किशोरी !
मोहे नाम धन दीजौ

दासी बनू तुम्हारी लाडली सेवा तेरी ही पाऊँ
तेरे ही गुणगान लिखूं तेरी ही महिमा गाऊँ
और कछु नहीं माँगूँ लाडली चरणन नेह कीजौ
किशोरी !
मोहे नाम धन दीजौ

तेरे द्वारे पड़ी लाडली और कहीं ना जाऊँ
किस विधि रीझै मेरी भोरी श्यामा कौन विधि अपनाऊँ
जग के फन्द काटो श्यामा मोहे शरण रख लीजौ
किशोरी !
मोहे नाम धन दीजौ

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