श्री जी का सिंगार
श्यामा मोरी का सिंगार ऐसो सोहे
नासिका पे नथनी नील परिधान होवे
सुकोमल कमर में नीवी बन्धन है
अंगों पर कपूर कस्तूरी लेप चन्दन है
पैरों में अलता की रंगत सोहे है
मस्तक पर सुंदर बेणी मन मोहे है
कानों में रोचन कुण्डल अति प्यारे हैँ
केश विन्यत पुष्प हार वारे हैँ
गल देश में माला बड़ी प्यारी है
हाथों में लीला कमल की न्यारी है
अधरों में ताम्बूल से रंग है
ठोडी में कस्तूरी बिंदु संग है
नैनों में उन्नत काजल की रेखा है
कपोलों पर मकरी पत्र चित्र देखा है
लाडली को सिंगार ये लाल जू को भावे है
दासी को भी मन युगल सुख सों हर्षावे है
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