कौन घड़ी पिया आवे
कौन घड़ी मेरो पिया आवे सखी
कौन घड़ी मोहे मेहन्दी रचावे
हार सिंगार कियो ना सखी मैंने
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
कौन घड़ी......
सूनी लागे सेज पिया जी
नैन भरे मेरो मन अकुलावे
बाट निहारूँ कबसे पिया जी
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
कौन घड़ी.......
भूल भई मोते ये भारी
पिया संग कीन्हीं बरजोरी
हाय रूठे पिया अब कैसों मनावे
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
कौन घड़ी.......
कैसो कटेगो जीवन बिन पिया के
पल पल मेरो जिया रहे जलाए
हाय अभागिन पिया बिन तड़पूं
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
कौन घड़ी......
तड़पूं सखी मैं जल बिन मछली
पिया बिना कछु धीर ना आवे
कैसो सुहागिन बिन मैं पिया के
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
कौन घड़ी.....
कैसो सखी ये रीत प्रीत की
पिया बिना मेरो जीवन खारी
काहे चले मेरो स्वास् रुक जावे
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
कौन घड़ी.....
तेरी बाँवरी अति व्याकुल पिया
अब लीजो आन खबरिया मेरी
पिया अबहुँ काहे देर लगावे
पिया बिन कोई सिंगार ना भावे
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