कैसे सुकून पाऊँगी
कैसे सुकून पाऊँगी तुमको भुला कर मैं
बिन मौत ही मर जाऊँगी तुमको भुला कर मैं
है ये तेरा इश्क़ की अब तलक हूँ मैं जिन्दा
तेरी रहमतें हैं इतनी अपनी खताओं से हूँ शर्मिंदा
इक साँस ले ना पाऊँगी तुमको भुला कर मैं
कैसे सुकून......
तेरी इनायतें हैं इतनी क्या क्या हिसाब दूँ
तेरी उल्फ़तों का साहिब मैं क्या जवाब दूँ
कैसे ये सिर उठाऊंगी तुमको भुला कर मैं
कैसे सुकून पाऊँगी.......
है ये तेरी मोहबत जो तेरा नाम लब पर आया
तुम बन गए हो सुर मेरे तो गीत मैंने गाया
कैसे नगमा ये सुनाऊँगी तुमको भुला कर मैं
कैसे सुकून पाऊँगी.....
Comments
Post a Comment