इक विनय सुनो

इक विनय मेरी सुनियो लाडली रख लीजो बरसाना
छोड़ तिहारा द्वार लाडली और कहाँ मोहे जाना

तुम जो चाहो मेरी लाडली नित बरसाने आऊँ मैं
तेरे ही रंग में रंगू लाडली तेरे ही गुण गाऊँ मैं
नाच तुम्हें दिखाऊँ लाडली मुझको है तुम्हें रिझाना
छोड़ तिहारा द्वार......

राधा राधा नाम रटूं मैं ऐसी मस्त बना दो
हो जाए बस तेरी खुमारी ऐसा रस बरसा दो
डोलूँ मैं बनकर बाँवरी ऐसा करो दीवाना
छोड़ तिहारा द्वार......

तेरी कृपा हो जाए स्वामिनी तेरी राह निहारूँ
मुख से और कुछ ना बोलूं तेरा नाम उचारूँ
राधा नाम धन से मेरा भर दो आज खज़ाना
छोड़ तिहारा द्वार......

इक विनय मेरी सुनियो लाडली रख लीजो बरसाना
छोड़ तिहारा द्वार लाडली और कहाँ मोहे जाना

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