करुणानिधान

करुणानिधान हे परम्दयालु
मुझ पतित पर उपकार ये करदो
मिटें सभी कल्मष इस मन के
निर्मल अपने प्रेम से भर दो

नाम आपका ना भूलूँ भगवन्
निशदिन मन में स्मरण करूँ मैं
भटके ना मन विषय विकार में
दो सामर्थ्य प्रभु भजन करूँ मैं
सब पर हो उपकार तुम करते
इस पतिता को भी पावन करदो
करुणानिधान हे परमदयालु
..............

नहीं कोई जप तप संयम् मेरा
हूँ अवगुण की ढेरी भगवन्
चरण पडूँ मैं विनय सुनो जी
कीजो चरणन चेरी भगवन्
मन मन्दिर में हो प्रेम आपका
प्रेम ज्योति से उज्ज्वल करदो
करुणानिधान हे परमदयालु
..............

यही कामना प्रेम आपका पाऊँ
जीवन जगत सेवा में हो अर्पण
मन में रहे छवि आपकी भगवन्
सच्चे मन से करूँ समर्पण
दया दृष्टि रखना अधम पर
सद्मार्ग पर अग्रसर करदो
करुणानिधान हे परमदयालु
मुझ पतित पर उपकार ये करदो
मिटें सभी कल्मष इस मन के
अपने निर्मल प्रेम से भरदो

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